India Russia Crude Oil Trade
रूस अब सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए भारत का दूसरा सबसे बड़ा क्रूड ऑयल सप्लायर बन चुका है।
भारत ने अपने सच्ची दोस्ती का प्रमाण देते हुए, अब रूस को अपना दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बना दिया है।
जब रूस को अपने देश को बचाने के लिए कच्चे तेल आयातक की जरूरत परी तो भारत बिना डरे, बिना पश्चिमी प्रतिबंधों की परवाह किए रूस से भारी मात्रा में ऑयल इंपोर्ट किया।
पहला स्थान
बेहरहाल, अभी भी पहले स्थान पर ईराक बना हुआ है, मगर अब वो दिन दूर नहीं जब रूस पहला स्थान भी प्राप्त कर ले। देखा जाए तो कुछ ही महीनों में ये संभव लगता है
ट्रेंड में उछाल
केवल कच्चे तेल के बदौलत लगता है इस वर्ष के अंत तक भारत और रूस का ट्रेड 15 बिलियन यूएस डॉलर का आंकड़ा पार कर लेगा जो की पिछले वर्ष केवल 8 बिलियन यूएस डॉलर ही हो पाया था।
नए ट्रेड रूट का आरंभ
अगर ट्रेड रूट की बात करे तो भारत रूस के पश्चिमी भाग से बाल्टिक सागर होते हुए मेडिटरेनियन सागर और स्वेज़ केनल पार कर आज तक मुख्य तौर पर मांगता था। जो की निसंदेह काफी लंबी रूट है।
इसके हल स्वरूप एक नई ट्रेड रूट की सुरुआत की गई है जिसका नाम है,
International North South Transport Corridor (INSTC) इसकी लंबाई 7200 Km है। ये रूस, अज़रबैजान, ईरान और भारत को जोड़ता है।
इसमें भारत द्वारा निर्मित चाबहार बंदरगाह की अहम भूमिका रहेगी।
जी हां, भारत का ये ग्रैंड प्लान अब सफल होने बाला है, बल्कि लगभग सफल हो चुका है, हाल ही कुछ दिनों पहले रूस ने एक शिपमेंट इस रूट से भेजा था।
चीन - रूस के बीच ऑयल ट्रेड
अगर देखा जाए तो चीन भारत से एक बड़ा ऑयल निर्यातक है, बावजूद इसके भारत और रूस के क्रूड ऑयल ट्रेड रूस और चीन से काफी ज्यादा है।
इसका एक मुख्य कारण पश्चिमी सैंक्शंस का डर भी हो सकता है।
भारत आख़िर क्यों है इतना इंटरेस्टेड, रूसी क्रूड ऑयल में?
इसके तीन प्रमुख कारण है।
1) रूस इंटरनेशनल मार्केट की तुलना में काफी डिस्काउंटेड रेट पर भारत को कच्चा तेल मुहैया कराता है।
खबरों की माने तो खरीदार ज्यादा होने के कारण, डिस्काउंटेड तेल में अब गिरावट भी आई है।
2) रूसी तेल की कंपनियों में भारत की काफी बड़ी हिस्सेदारी है, जिसके कारण अपने इन्वेस्टमेंट्स को बचाने के लिए भी भारत रूसी तेल को बरहाबा दे रहा है।
3) देखा जाए तो हर क्षेत्र के तेल की क्वॉलिटी अलग होती है।
रूसी तेल खास कर रूसी उरल तेल काफी गाढ़ा होता है, जो की अगर अच्छे रिफायनरी में डाला जाए तो उच्च क्वॉलिटी के प्रोडक्ट्स देता है, ये एक प्रमुख कारण है भारती कंपनियों का रूसी तेल प्रति झुकाव का।
अमेरिका की प्रतिक्रिया
अमेरिका की सुने तो उन्होंने अभी तक कोई भी ऐसा निर्देश नहीं निकला है की किस सिमा तक किसी भी देश को रूस का तेल ख़रीदना चाहिए।
इसका मुख्य कारण है अमेरिकी सैंक्शन ने ज्यादा विकल्प छोड़े नहीं है अन्य देशों के लिए।
यूरोप में चर्चा
यूरोप के कई भू-राजनीतिक विश्लेषको ने ये कहा है की अगर रूस और चीन की बढ़ती नजदीकी को रोकना है तो हमें रूस और भारत के संबंध को स्वीकारना होगा। बल्कि भारत और रूस की दोस्ती बनाए रखने में सहायता भी करनी चाहिए।
अगर सभी पहलुओं को देखा जाए तो ये भारत और रूस के संबंध के लिए काफी अच्छी खबर है। कई विशेषज्ञों का माना है की भारत और रूस अपने एकिश्वी सदी की सबसे सुनहरे कालखंड की ओर बढ़ रही है।
आने वाले कई डेवलपमेंट्स के लिए हमारे साथ जुड़े रहे, धन्यवाद। :)
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